मध्य अरावली पर्वतीय प्रदेश(भूगोल)
मध्य अरावली पर्वतीय प्रदेश (भूगोल)
यह विश्व की प्राचीन वलित अवशिष्ट पर्वत माला हैं।
इस पर्वतमाला का विस्तार कर्णवत रूप में दक्षिण पश्चिम से गुजरात में खेड़ा ब्रह्मा (पालनपुर) से लेकर उत्तर पूर्व में खेतड़ी सिंघाना (झुंझुनू ) तक श्रृंखलाबद्ध रुप में है, उसके बाद छोटे-छोटे हिस्सों में दिल्ली तक (रायसीना पहाड़ी) फैली हुई है, इन श्रृंखलाओं की चौड़ाई व ऊंचाई दक्षिण पश्चिम में अधिक है जो धीरे-धीरे उत्तर पूर्व में कम होती जाती है अरावली पर्वत श्रंखला गोंडवाना लैंड का अवशेष है। इनकी उत्पत्ति भूगर्भिक इतिहास के प्री.कैंब्रियन कल्प (प्राचीन कल्प) मैं हुई थी। इसके दक्षिण भाग में पठार उत्तर एवं पूर्व भाग में मैदान एवं पश्चिम भाग में मरुस्थल है। अरावली पर्वत प्रारंभ में बहुत ऊंची थी परंतु अनाच्छादन के कारण यह आज अवशिष्ट पर्वतों के रूप में है।
विश्व की प्राचीनतम पर्वत श्रेणियों में से एक अरावली पर्वतमाला राजस्थान के भूभाग को दो भागों में विभक्त करती है। पर्वतों में ग्रेनाइट चट्टानों भी मिलती है, सेंदड़ा (ब्यावर) के पास अधिक फैली है।
अरावली की औसत ऊंचाई 930 मीटर है।
राजस्थान में अरावली की सर्वाधिक ऊंचाई सिरोही में तथा सबसे कम ऊंचाई जयपुर में।
उत्तर पूर्व से दक्षिण पश्चिम की ओर जाने पर ऊंचाई बढ़ती है ।
अरावली का निर्माण ग्रेनाइट, निस, क्वार्टजाइट चट्टाने पाई जाती है।
राजस्थान में अरावली पर्वतमाला 13 जिलों में फैली हुई है:-उदयपुर, चितौड़गढ़, डूंगरपुर, प्रतापगढ़, भीलवाड़ा, सीकर, झुंझुनू, अजमेर, सिरोही, अलवर, तथा पाली व जयपुर का कुछ भाग।
राज्य के संपूर्ण भूभाग का क्षेत्रफल लगभग 9% है।
राज्य की कुल जनसंख्या का लगभग 10% भाग है।
अरावली पर्वतमाला में वर्षा 50 सेमी से 90 सेमी होती है।
अरावली पर्वत राज्य में एक वर्षा जल विभाजक रेखा का कार्य करती है।
राज्य का सर्वाधिक वर्षा वाला स्थान माउंट आबू लगभग 150 सेमी इसी में स्थित है।
उपआर्द्र जलवायु ।
काली, भूरी लाल व कंकरीली मिट्टी है ।
क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण खनिज बहुतायत से मिलते हैं जैसे तांबा, सीसा, जस्ता, अभ्रक, चांदी, लोहा, मैग्नीज, फेल्सपार, ग्रेनाइट, मार्बल, चूना, पत्थर ,पन्ना आदि।
मुख्य दर्रे: देसूरी नाल व हाथी दर्रा,केवड़ा की नाल (उदयपुर ), जिलवाड़ा नाल, सोमेश्वर नाल आदि ।
इस क्षेत्र के पहाड़ी भागों में भील, मीणा, गरासिया, डामर आदिवासी जनजाति रहती है ।
राज्य की सर्वाधिक ऊंची पर्वत चोटी गुरु शिखर (सिरोही) है जो 1722 मीटर लंबी है।
अरावली श्रंखला की कुल लंबाई 694 किलोमीटर से 550 किलोमीटर है जो राजस्थान में 80% है ।
अरावली के डायलॉग पर मक्का की खेती विशेषत की जाती है ।
अरावली पर्वत विश्व के प्राचीनतम वलित पर्वत है ।
सावली पर्वत श्रेणी राजस्थान की जलवायु को अत्यधिक प्रभावित करती है ।उत्तर पश्चिम में सिंधु बेसिन और पूर्व में गंगा बेसिन के मध्य महान जल विभाजक रेखा ( क्रेस्ट लाइन ) कार्य करती है ।इसके पूर्व में गिरने वाली नदियां द्वारा बंगाल की खाड़ी में तथा पश्चिम में गिरने वाल पानी अरब सागर में ले जाया जाता है ।अरावली पर्वतीय प्रदेश की समुद्र तल से औसत ऊंचाई 930 मीटर है ।
अरावली पर्वतीय प्रदेश की स्थलाकृति:- भूगर्भिक संरचना की दृष्टि से अरावली पर्वत श्रेणियां प्री कैम्ब्रिज चट्टानी समूह से संबंधित है । पुणे दिल्ली सुपर ग्रुप एवं अरावली सुपर ग्रुप की सटाना के वर्ग में रखा गया है ।ऊंचाई के आधार पर इस संपूर्ण प्रदेश को निम्न चार भागों में विभाजित किया जाता है:-
1.उत्तर पूर्वी पहाड़ी प्रदेश:-
अरावली पर्वतीय क्षेत्र का यह भाग जयपुर की सांभर झील के उत्तर पूर्व में राजस्थान हरियाणा सीमा तक फैला हुआ है ।
इसमें जयपुर जिले के उत्तर पूर्व में स्थित शेखावटी एवं तोरावटी क्षेत्र की पहाड़ियां जयपुर एवं अलवर की पहाड़ियां शामिल की जाती है।
रघुनाथगढ़ सीकर (1055 मीटर) खौ जयपुर (920 मीटर) बाबाई झुंझुनू (780 मीटर ) भैराच अलवर (792मीटर ) एवं बैराठ जयपुर (704 मीटर) इस की प्रमुख पर्वत चोटियां है।
उत्तरी पूर्वी पहाड़ी परदेस की आकृति भेड. पीठनुमा है।
इस प्रदेश में देहली क्रम की पहाड़ियां ज्यादा है।
तांबा व लोहा धात्विक खनिज के लिए प्रसिद्ध है।
उत्तरी अरावली प्रदेश में दर्रे व घाट नहीं पाए जाते हैं।
यहां का प्रसिद्ध पठार काकनवानी व कैरोसी का पठार अलवर में स्थित है।
उत्तरी अरावली की अन्य पहाड़िया:-
हर्ष पर्वत सीकर, हर्षनाथ पर्वत अलवर, मोहनपुरा की पहाड़ियां जयपुर, चैनपुरा की पहाड़ियां जयपुर, जयगढ़ की पहाड़ियां जयपुर, नाहरगढ़ की पहाड़ियां जयपुर, भानगढ़ की पहाड़िया अलवर, खंडेला की पहाड़ियां सीकर।
भीम जी की डूंगरी, बीजक डूंगरी, महादेव जी की डूंगरी। बैराठ पर्वत विराट नगर जयपुर में स्थित है:-मौर्यकालीन जानकारी, भाब्रू शिलालेख, बौद्ध धर्म की जानकारी प्राप्त होती है ।
बैराठ से बाणगंगा नदी निकलती है, इस नदी पर जमवारामगढ़ बांध है, इस बाध के आसपास के क्षेत्र को जमवारामगढ़ अभ्यारण कहा जाता है।
2.मध्यवर्ती अरावली श्रेणी:-
अरावली पर्वतीय प्रदेश के इस भाग में अजमेर जयपुर एवं पश्चिमी टोंक जिले की पहाड़ियां तथा शेखावटी क्षेत्र सीकर झुंझुनू की निम्न पहाड़ियां आती है।
क्षेत्र में मेरवाड़ा की पहाड़ियां अजमेर स्थित तारागढ़ 772 मीटर एवं नाग पहाड़ 795 मीटर आदि प्रमुख चोटियां है।
इस क्षेत्र में दर्रे व घाट अधिक पाए जाते हैं।
दक्षिण पश्चिम में इन्हें मेरवाड़ा की पहाड़ियां भी कहा जाता है।
घुंगरू घाटी में आरपीएससी का मुख्यालय है।
मेवाड़ का चट्टानी प्रदेश एवं भोरठ का पठारी क्षेत्र:-
अरावली श्रेणी के इस भाग में उदयपुर,राजसमंद,चित्तौड़गढ़, एवं प्रतापगढ़ तथा सिरोही के पूरी भाग की पहाड़ियां सम्मिलित की जाती है।
आबू पर्वत खंड के अलावा अरावली पर्वत श्रेणी का उच्चतम भाग कुंभलगढ़ व गोगुंदा के बीच भोराठ का पठार जिसकी ऊंचाई 12 मीटर है राज्य की सर्वोत्तम छोटी जिसकी लंबाई वह भी इसी क्षेत्र में स्थित है। इस क्षेत्र के अन्य छोटिया गोगुंदा 840 मीटर सायरा 900 मीटर कोटडा 450 मीटर।
3.आबू पर्वत खंड:--
अरावली पर्वतीय क्षेत्र का उच्चतम भाग आबू पर्वत खंड है जो सिरोही जिले में अवस्थित है इनकी समुद्र तल से ऊंचाई 1200 मीटर से भी अधिक है। इसमें ग्रेनाइट चट्टानों की बहुलता है। आबू पर्वत से सटा हुआ उड़िया पठार जिसकी ऊंचाई 1360 मीटर राज्य का सर्वोच्च पठार है जो सबसे ऊंची चोटी गुरु शिखर से नीचे है।
इस क्षेत्र में राज्य की दूसरी सर्वोच्च चोटी सेर जिसकी लंबाई1597 मीटर दिलवाड़ा 1442 मिटर एवं अचलगढ़ 1330 मीटर स्थित है।
जालौर पर्वतीय क्षेत्र की प्रमुख चोटियां इसराना भाखर 839 मीटर, रोजा भाखर 730 मीटर, झारोला भाखर 586 मीटर है।
अरावली पर्वत श्रेणी का स्वरूप अजमेर से सिरोही होते हुए गुजरात तक तानपुरे के समान है।
अरावली उत्तर पूर्व में कम चौड़ी तथा नीचे से दक्षिण पश्चिम में अधिक थोड़ी विस्तृत है।
अरावली श्रेणियां मैं मुख्यतः क्वार्टजाईट, नीस, शिष्ट एवं ग्रेनाइट चट्टाने है।
आबू पर्वत पर स्थित राज्य की सबसे ऊंची पर्वत चोटी गुरु शिखर हिमालय एवं नीलगिरी पर्वतों के मध्य की सबसे ऊंची चोटी है।
सिवाना(जालौर बाड़मेर) पर्वतीय क्षेत्र में स्थित नाकोड़ा पहाड़िया छप्पन की पहाड़ियां के नाम से जानी जाती है। यही नाकोडा पर्वत स्थित है। यहां ग्रेनाइट चट्टानों का बाहुलय है इसलिए जालौर को ग्रेनाइट नगरी कहा जाता है।
इस पर्वतीय क्षेत्र में मुख्यत: ढाक, गूलर, हरड, जामुन, गुग्गल,शीशम,आंवला, नीम, बहेड,अभी वनस्पति पाई जाती है।
इस पर्वतमाला का विस्तार उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम तक अरब सागर से आने वाली दक्षिण पश्चिमी मानसून पवनों की दिशा के समानांतर है। फलस्वरूप यह पवने राजस्थान में बिना वर्षा किए उत्तर दिशा में चली जाती है और राज्य का पश्चिमी क्षेत्र सूखा रह जाता है।
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