पूर्वी मैदानी भाग (भूगोल)
पूर्वी मैदानी भाग(भूगोल)
यह मैदानी भाग अरावली पर्वतमाला के पूर्व में स्थित है।
इस मैदान का उत्तरी पूर्वी भाग गंगा जमुना के मैदानी भाग से मिला हुआ है।
इसका क्षेत्रफल राज्य के कुल क्षेत्रफल का लगभग 23 % है ।
यह मैदानी भाग 50 सेंटीमीटर सम वर्षा रेखा द्वारा पश्चिमी मरुस्थलीय भाग से विभाजित होता है।
पूर्वी मैदानी भाग का निर्माण :-
पूर्वी मैदानी भाग का निर्माण नदियों द्वारा किया गया है ।
पूर्वी मैदानी भाग का निर्माण प्लेस्टोसीन काल मे हुआ है ।
जिले
पूर्वी मैदानी भाग मुख्य रूप से जयपुर, भरतपुर, दौसा, सवाईमाधोपुर, धौलपुर, करौली, अलवर, अजमेर के कुछ भाग तथा बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ व डूंगरपुर के कुछ मैदानी भाग में फैला हुआ है ।
जनसंख्या:-
राज्य की लगभग 39 % जनसंख्या यहां निवास करती है।
इस क्षेत्र में जनसंख्या घनत्व अधिक है ।
वर्षा जलवायु व मिट्टी:-
पूर्वी मैदानी भाग 50 सेंटीमीटर से 80 सेंटीमीटर वार्षिक वर्षा रेखा के मध्य है ।
पूर्वी मैदानी भाग में आर्द्र जलवायु है ।
पूर्वी मैदानी भाग में जलोढ व दोमट मिट्टी पाई जाती है ।
छप्पन का मैदान:-
इस मैदान को भाटी का मैदान भी कहा जाता है ।
बांसवाड़ा प्रतापगढ़ डूंगरपुर के मध्य प्रति मैदानी भाग में विस्तृत है ।
कृषि व्यवसाय:-
पूर्वी मैदानी भाग में मुख्य व्यवसाय में कृषि व्यवसाय है ।
कृषि में मुख्य फसलें : - गेहूं ,जो ,चन्ना ,ज्वार ,मक्का , बाजरा ,तिलहन सरसों और दालें (मूंग ,उड़द ,अरहर )तथा गन्ना आदि का बहुत उत्पादन होता है ।
इस क्षेत्र में कुआं द्वारा सिंचाई अधिक होती है ।
नहरे : -
पूर्वी मैदानी भाग में भरतपुर नगर में गुड़गांव में आती है ।
प्रदेश की ढाल :-
इस प्रदेश की ढाल पूर्व दिशा में है । ,
अतः सभी नदियां पश्चिम से पूर्व की ओर बह कर बंगाल की खाड़ी में अपना जल ले जाती है ।
दक्षिणी मैदानी क्षेत्र का ढाल पश्चिम में होने के कारण माही नदी खंभात की खाड़ी में गिरती है ।
चंबल बेसिन का ढाल दक्षिण से उत्तर की ओर एवं
बनास बेसिन का ढाल उत्तर पूर्व व पूर्व की ओर है तथा माही बेसिन का ढाल पश्चिम में गुजरात राज्य की तरफ है।
पूर्वी मैदानी भाग निम्न तीन भागों में विभाजित किया जाता है : -
1 .बनास बेसिन : -
बनास व उसकी सहायक नदियों खारी ,मोरेल , बेड़च, मेनाल , कोठारी ,कालीसिल ,माशी आदि द्वारा सिंचित या मैदानी भाग दक्षिण में मेवाड़ का मैदान एवं उत्तर में मालपुरा करौली का मैदान कहलाता है ।
2 .चंबल बेसिन :-
इस संपूर्ण क्षेत्र की स्थलाकृति पहाड़ों व पत्थरों से निर्मित है ।
इस बेसिन में विशाल बीहड़ है जिनमें चोर डाकुओं का आंतक रहता है ।
इस मैदानी क्षेत्र में कोटा, बूंदी, टोंक, सवाई ,माधोपुर एवं धौलपुर के क्षेत्र शामिल है ।
3 .छप्पन बेसिन :-
माही एवं उसकी सहायक नदियों द्वारा सिंचित राजस्थान का यह दक्षिणी भाग 'वागड़ 'नाम से प्रसिद्ध है ।
बांसवाड़ा में प्रतापगढ़ के बीच का क्षेत्र छप्पन का मैदान है।
पूर्वी मैदानी भाग की अन्य विशेषताएँ : -
चंबल के बीहड़ व कंदराएँ यहां की मुख्य विशेषताएं है।
इस मैदानी भाग की दक्षिणी पूर्वी सीमा पर विन्धयन पठार व हाडोती का पठार स्थित है ।
इस बेसिन के पश्चिमी भाग देवगढ़ के आसपास क्षेत्र को पीडमांट का मैदान कहते हैं ।
दक्षिण-पूर्वी पठारी भाग :-
यह मालवा के पठार का एक भाग है तथा चंबल नदी के सहारे सारे पूर्वी भाग में विस्तृत है ।
इस क्षेत्र में राज्य का लगभग 7% भाग आता है ।
दक्षिणी पूर्वी पठारी भाग सात जिलों में विस्तृत है :-
कोटा, बूंदी, झालावाड़, बारां तथा बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़ व भीलवाड़ा के कुछ क्षेत्र।
इस क्षेत्र में राज्य की लगभग 11% जनसंख्या निवास करती है ।
इसे हाड़ौती का पठार / लावा का पठार भी कहते हैं, ये आगे जाकर मालवा के पठार में मिल जाता है ।
वर्षाः-
80सेमी से 120 सेमी ।राज्य का सर्वाधिक वर्षा वाला क्षेत्र है ।
फसलें :-
कपास, गन्ना, अफीम, तम्बाकू, चाकल धनिया, मेथी, संतरा अधिक मात्रा में पाया जाता है ।
वनस्पति :-
लंबी घास, झाड़ियां, बाँस, खेर, गुलर, सालर, धोक, ढाक, सागवान आदि।
यह संपूर्ण प्रदेश चंबल और उसकी सहायक कालीसिंध, परवन और पार्वती नदियों द्वारा प्रवाहित है ।
इस प्रदेश का ढाल दक्षिण से उत्तर की ओर है ।इसी कारण चंबल इसकी कई सहायक नदियां दक्षिण से उत्तर की ओर बहती है । यह पठारी भाग अरावली और विंध्याचल पर्वत के बीच सक्रांति प्रदेश है ।
इस भूभाग के दो भाग हैं :-
1. विन्ध्यन कागार भूमि :-
यह क्षेत्र विशाल बलुआ पत्थरों से निर्मित है ।
2.दक्कन का लावा पठार :-
इस क्षेत्र में बलुआ पत्थरों के साथ-साथ बीस-बीस में स्लेटी पत्थर भी मिलता है ।
बूंदी वह मुकुंदवाड़ा की पहाड़ियां इसी पठारी भाग में है ।
उपरमाल का पठार एवं मेवाड़ का पठार इसी के भाग है।
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