बंगाल की खाड़ी अपवाह तंत्र ( भूगोल )

 बंगाल की खाड़ी अपवाह तंत्र


चंबल नदी

चंबल नदी का उद्गम मध्यप्रदेश में जनापाऊ पहाड़ियों से होता है ।

राजस्थान की सबसे लंबी नदी है ।

चंबल नदी को कामधेनु, चरणावती नामों से जानी जाती है ।

इस नदी की कुल लंबाई 1051 Km है ।

यह राजस्थान की बारहमासी नदी है  अर्थात वर्ष भर बहती है ।

यह मध्य प्रदेश , राजस्थान , उत्तरप्रदेश राज्य में बहती है ।

राजस्थान की सर्वाधिक सतही जल वाली नदी है ।

इसका अपवाह तंत्र वट वृक्ष की भांति है ।

राजस्थान में चंबल नदी की कुल लंबाई 135 किलोमीटर है ।

चंबल नदी 256 किलोमीटर राजस्थान में मध्य प्रदेश की सीमा बनाती है ।

यह यमुना नदी की सहायक नदी है ।

चंबल नदी राजस्थान में चोरासीगढ़ ( भैंसरोडगढ़ )से प्रवेश करती है ।

गांधी सागर बांध मध्य प्रदेश में स्थित है जो चंबल नदी पर बनाया गया है ।

गुंजाली नदी  सहायक नदी है ।

चंबल नदी पर राणा प्रताप सागर बांध बनाया गया जो राजस्थान का भराव की दृष्टि से सबसे बड़ा बांध है ।

 इस बांध के पास ही रावतभाटा परमाणु बिजली केंद्र है ।

 चित्तौड़गढ़ में स्थित है ।

चंबल नदी की सहायक नदियां

बाई तरफ की सहायक नदियां

बामणी नदी -  
हरिपुरा की पहाड़ियों से निकलती है और भैंसरोडगढ़ में चंबल नदी में मिल जाती है ।

औराई नदी
यह नदी बस्सी अभयारण्य बामणी नदी में मिल जाती है और बामणी नदी चंबल नदी में मिल जाती है ।

कुराल नदी
यह ऊपर माल के पठार से निकलकर संबल में मिल जाती है ।

मेज नदी कुराल नदी की सहायक नदी है ।
मांगली नदी मेज नदी की सहायक नदी है ।
घोड़ा पछाड़ नदी नदी मांगली नदी की सहायक नदी है ।

चाकन नदी
चंबल की सहायक नदी है ।

बनास नदी
खमनोर की पहाड़ियों से निकलकर रामेश्वर में जाकर चंबल नदी में मिल जाती है ।

सीप नदी
यह नदी सवाई माधोपुर से निकलती है और रामेश्वर में जाकर चम्बल मे  मिल जाती है ।

रामेश्वर में इन तीन नदियों (सीप, संबल, बनास)का त्रिवेणी संगम है । (रामेश्वर त्रिवेणी संगम )

दाई तरफ की सहायक नदियां

कालीसिंध नदी -
कालीसिंध मध्य प्रदेश की बागली की पहाड़ियों से निकलती है और नानेरी नामक स्थान पर चंबल नदी में मिल जाती है ।

कालीसिंध नदी बीदा नामक स्थान (झालावाड़ ) से राजस्थान  प्रवेश करती है ।

आहू नदी ,चंद्रभागा तथा परवन नदी कालीसिंध की सहायक नदियां है ।

पार्वती नदी
सेहोर की पहाड़ियां से पार्वती नदी निकलकर सवाई माधोपुर में पालिया नामक स्थान पर चंबल में मिल जाती है ।

कूनु नदी
गुना (MP ) से निकलती हुई सवाई माधोपुर चंबल नदी मिल जाती है l

चंबल नदी पर बांध बनाए गए हैं -
1 .गांधी सागर बांध -मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले स्थित है ।

इस बांध द्वारा 115 मेगावाट बिजली बनाई जाती है ।

2 .राणा प्रताप सागर बांध -चित्तौड़गढ़ में स्थित है ।

इस बांध से 172 मेगावाट बिजली बनाई जाती है ।

3 .जवाहर सागर बांध -कोटा जिले में स्थित है ।

इस बात से 99 का वाट बिजली बनाई जाती है

4 .कोटा बैराज -कोटा जिले में स्थित है ।

इस नदी पर टोटल 386 मेगावाट बिजली बनाई जाती है जिसमें से 193 मेगावाट राजस्थान तथा 193 मेगावाट मध्यप्रदेश में जाती है ।

चंबल नदी पर कोटा में लटकता हुआ पुल है जिसे हैंगिंग ब्रिज कहते हैं इसकी लंबाई 1.4 Kmलंबा है ।

हैंगिंग ब्रिज से NH 27 अर्थात पूर्व पश्चिम गलियारा गुजरता है ।

चंबल नदी के समीप कोटा में प्रसिद्ध चंबल गार्डन बना हुआ है ।

यह नदी विश्व में बीहड,अवनालिका अपरदन तथा उत्खात भूमि के लिए विश्व प्रसिद्ध है ।

चंबल नदी राजस्थान के निम्न 6 जिलों में प्रवाहित होती है -
(चित्तौड़गढ़,कोटा,बूंदी ,सवाई माधोपुर ,करौली व धौलपुर )

चंबल घड़ियाल अभयारण्य पूरी चंबल नदी को कहा जाता है ।

गांगेय सूस मछली चंबल नदी में पाई जाती है ।

बूंदी में केशोरायपाटन मे चम्बल नदी की अधिक गहराई है ।

बनास नदी

बनास नदी का उद्गम राजसमंद में खमनोर की पहाड़ियों से होता है ।

यह राजस्थान में प्रवाहित होने वाली सबसे लंबी नदी है ।

इसकी लंबाई 512 किलोमीटर है कहीं-कहीं 480 किलोमीटर लिखी मिलती है ।

यह नदी वन की आशा के नाम से जानी जाती है ।

यह नदी पीडमोन्ट मैदान का निर्माण करती है ।

यह भूरी बजरी के लिए प्रसिद्ध है ।

यह राजस्थान के 6 जिलों में प्रवाहित होती है - (राजसमंद ,चित्तौड़गढ़ ,भीलवाड़ा , अजमेर ,टोंक व सवाई माधोपुर )


यह नदी चंबल नदी में रामेश्वर त्रिवेणी संगम में जाकर मिलती है ।

बनास की सहायक नदियां -

दाये तट की सहायक नदियां =

1 . बेड़च नदी
गोगुंदा की पहाड़ियों से निकलती है ।

शुरुआत में यह आयड. नदी के नाम से जानी जाती है ।

आयड़ नदी उदयसागर झील में गिर जाती है फिर आगे बेड़च नाम से भीलवाड़ा के बीगोद नामक स्थान पर यह बनास नदी में मिल जाती है ।

मेनाल नदी
डेंगू की पहाड़ियों से निकलकर बीगोद (भीलवाड़ा ) में यह नदी बनास में मिल जाती है ।
मेनाल नदी पर चित्तौड़गढ़ भीलवाड़ा की सीमा पर मेनाल जलप्रपात बना हुआ है ।

गंभीरी नदी 
जावर की पहाड़ियां (मध्य प्रदेश )से निकलकर निंबाहेड़ा (चित्तौड़गढ़ )से राजस्थान में प्रवेश करती है और आगे जाकर बेड़च में मिल जाती है ।


बाँये तट की सहायक नदिया -
कोठारी नदी
दिवेर की पहाड़ियों से निकलती है तथा भीलवाड़ा के नंदसराय स्थान पर बनास नदी मिल जाती है ।

कोठारी नदी पर मेजा बांध भीलवाड़ा में बनाया गया है ।

खारी नदी
बृजलाल गांव की पहाड़ियों से निकलती है तथा राजमहल देवली टोंक जिले में बनास नदी मिल जाती है ।

खारी नदी पर नारायण सागर बांध (अजमेर) बनाया गया है ।

मांडलगढ़ से मानसी नदी निकलती है वह खारी नदी में मिल जाती है ।

डाई नदी -
नसीराबाद से किशनगढ़ की पहाड़ियों से निकलकर राजमहल देवली टोंक जिले में बनास नदी मिल जाती है ।

मोरेल नदी
जयपुर में चैनपुरा की पहाड़ियों से निकलती है और सवाई माधोपुर में बनास नदी मिल जाती है ।

कालीसिंध नदी करौली से प्रवाहित होती है और कैला देवी अभ्यारण से होकर गुजरती है तथा मोरेल नदी में मिल जाती है ।

मोरेल नदी पर मोरेल बांध बना हुआ है ।


बनास नदी पर राजसमंद में नंद समंद परियोजना बनी हुई है ।

बनास नदी पर बीसलपुर बांध बनाया गया है जो टोंक जिले में स्थित है ।

बीसलपुर बांध परियोजना राजस्थान की सबसे बड़ी पेयजल परियोजना है ।

बनास पर इसरदा बांध सवाई माधोपुर जिले में बना हुआ है ।

बनास नदी राजस्थान में सर्वाधिक 3 त्रिवेणी संगम बनाती है

1 .बिगोद त्रिवेणी संगम (भीलवाड़ा) - बनास, बेडच तथा मेनाल नदियों से मिलकर बनता है ।

2 .राज महल देवली (टोंक ) - बनास,खारी व डाई नदियों से मिलकर बनता है ।

3.रामेश्वर (सवाई माधोपुर ) - चम्बल,बनास व सीप नदी से मिलकर बनती है ।

बाणगंगा नदी

जयपुर में बैराठ की पहाड़ियों से निकलती है ।

अर्जुन की गंगा ,ताला नदी , रूण्डीत नदी आदि इस नदी के उपनाम है ।

यह नदी 3 जिलों (जयपुर ,दोसा व भरतपुर ) में प्रवाहित होती है ।

फतेहाबाद उत्तर प्रदेश में यह यमुना नदी में मिल जाती है ।

जमवा रामगढ़ बांध जयपुर में बाणगंगा नदी पर बनाया गया है ।

भरतपुर में अजान बांध बनाया गया है ।
अजान बांध से केवलादेव घना पक्षी अभयारण्य को जलापूर्ति होती है ।

बाणगंगा नदी की लंबाई 380 किलोमीटर है ।

गंभीर नदी

करौली के नादौती गांव की पहाड़ियों से निकलती है और मैनपुर (उत्तर प्रदेश ) के पास यमुना नदी मिल जाती है ।

इस की सहायक नदियां -
सेसा ,पांचना , खेर, भद्रावती , भैसावट, मासी ,बरखेड़ा , एटा तथा पार्वती आदि इसकी सहायक नदियां हैं ।

पांचना नदी पर पांचना बांध बनाया गया है ।
अमेरिका के सहयोग से करौली जिले में मिट्टी से बनाया गया ।


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