राजस्थान की झीलें (भुगोल)

 राजस्थान की झीले

राजस्थान में दो प्रकार की जिले में पाई जाती है :-

1 .मीठे पानी की झीले

2 . खारे  पानी की झीले


मीठे पानी की झीले -

दक्षिण राजस्थान में सर्वाधिक मीठे पानी की झीले पाई जाती है ।

यह अधिकांश  कृत्रिम झीले  हैं ।

जीनका निर्माण सिंचाई व पेयजल हेतु किया गया है ।

राजस्थान की मीठे पानी की सबसे बड़ी जयसमंद झील है ।

भारत में मीठे पानी की सबसे बड़ी बुलर झील है ।

विश्व में सबसे बड़ी मीठे पानी की झील सुपरियर झील है ।

राजस्थान मीठे पानी की झीले निम्न है -

1 .पिछोला झील

पिछोला झील उदयपुर सिटी पैलेस के पीछे स्थित है ।

इसका निर्माण सन 1387 में महाराणा लाखा के काल में चित्रमल बंजारे ने अपने बैल की स्मृति में करवाया ।

सीसारमा व बुझड़ा दो नदियां पिछोला झील की जलापूर्ति करती है ।

इस झील में दो टापू स्थित है - 1 .जग मंदिर 2 .जग निवास

पिछोला झील की विशेषताएं -

पिछोला झील में स्थित जग मंदिर 1857की क्रांति में अंग्रेजों की पनाह बना ।

जगमंदिर संगमरमर से बना हुआ है यह मेवाड़ का ताजमहल कहलाता है ।

जग निवास में लेक पैलेस होटल संचालित की गई है ।

पिछोला झील के पास मोहन मंदिर स्थित है ।

इसके पास अर्शी विलास भी स्थित है ।

पिछोला झील के पास उदयपुर में दूध तलाई व हवाला ग्राम (सिल्पग्राम )स्थित है ।

पिछोला झील के पास नटनी का चबूतरा स्थित है ।

इस झील में राजस्थान की पहली सौर संचालित नाव चलाई गई है ।

2 .स्वरूप सागर झील

1857 में स्वरूप सिंह ने इसका निर्माण करवाया था ।

यह झील उदयपुर जिले में स्थित है ।

3 .फतेहसागर झील

फतेहसागर झील का निर्माण महाराणा जयसिंह ने सन 1688 में करवाया था ।

फतेहसागर झील उदयपुर जिले में स्थित है ।

ड्यूट ऑफ कनॉट ने इसकी आधारशिला रखी थी ।

इस झील को देवाली तालाब के नाम से जाना जाता है ।

1888 में इसका पुनरुद्धार महाराणा फतेह सिंह ने करवाया था ।

महाराणा फतेह सिंह ने स्वरूप सागर झील को पिछोला झील से तथा स्वरूप सागर को आगे फतेहसागर झील से जोड़ा था ।

फतेहसागर झील के अंदर नेहरू उद्यान बना हुआ है ।

इस झील के पास मोती मगरी पर महाराणा प्रताप का म्यूजियम बना हुआ है ।

इस झील के पास फिश एक्वेरियम बना हुआ है ।

फतेहसागर झील में सौर वेधशाला बनाया गया है ।

इस झील में जाने के लिए फतेहा बांध बना हुआ है ।

इसके पास सहेलियों की बाड़ी स्थित है ।

4 .उदयसागर झील

उदयसागर झील का निर्माण महाराणा उदय सिंह ने सन 1559 से 1568 तक कराया था l

आयड़ नदी को रोककर झील बनाई हुई है ।

उदयसागर झील उदयपुर जिले में स्थित है

5 .जयसमंद झील

जयसमंद झील का निर्माण महाराणा जय सिंह ने संत 1685 से 1691 तक करवाया ।

इस झील के पूर्व में लसाडिया का पठार बना हुआ है ।

गोमती , झावरी , केलवा ' बागर , नदियां जयसमंद झील में मिलती है ।

इसे ढेबर झील कहा जाता है ।

इस झील को जलचरो की बस्ती कहा जाता है ।

इस झील के पास में हवा महल व रूठी रानी का चित्रण है ।

इस झील में 7 टापू बने हुए उनमें से सबसे बड़ा टापू बाबा का भागड़ा तथा सबसे छोटा टापू प्यारी है ।

इंसात टापूओं पर भील व मीणा जाति निवास करती है ।

इस झील से सन 1950 में सिंचाई हेतु दो नहर निकाली गई 1 . श्यामपुरा 2. भाटखेडा

यह राजस्थान की सबसे बड़ी कृत्रिम झील है।

इस झील के एक टप्पू बाबा का मगरा पर आइसलैंड रिसोर्ट होटल संचालित की गई है ।

इसके पास जयसमंद अभ्यारण भी स्थित है ।

यह लगभग 15 किलोमीटर लंबी व 2 से 8 किलोमीटर तक चौड़ी है ।

6 .नक्की झील

एक क्रैटर झील है ।

यह राजस्थान की सबसे ऊंची झील है इसकी लंबाई1200मीटर है ।

यह झील सिरोही जिले के अर्बुदा पहाड़ी प्रदेश में स्थित है l

हिंदू मान्यताओं के अनुसार इस झील का निर्माण देवताओं ने अपने नाखूनों से खोदकर बनया है ।

यह राजस्थान की एकमात्र ऐसी झील है जिसका जल सर्दियों में जम जाता है ।

इस झील पर राजस्थान का एकमात्र हिल स्टेशन बना हुआ है ।

यहां से सनसेट का दृश्य देखा जाता है ।

इस दिल के समीप हाथीगुफा ,चंपागुफा व रघुनाथ जी का प्रसिद्ध मंदिर है ।

इस झील में गरासिया जनजाति अपने पूर्वजों की अस्थियां विसर्जन करती है । 

7 .राजसमंद झील

इसका निर्माण महाराणा राज सिंह में 1662 से1676 तक करवाया है ।

यह राजसमंद जिले में स्थित है ।

गोमती नदी के जल को रोक कर बनाई गई है ।

इसके निर्माण का उद्देश्य अकाल राहत कार्यों हेतु है ।

इसके पास द्वारकाधीश का मंदिर है जो अनकुट महोत्सव के लिए प्रसिद्ध है ।

इस झील के पास में घेवर माता का मंदिर है ।

उत्तरी भाग में नौसांकी की के नाम से जानी जाती है ।

रणछोड़ भट्ट तेलंग द्वारा संस्कृत भाषा में काले संगमरमर के 25 स्थानों पर 1917 श्लोक में मेवाड़ का इतिहास वर्णित किया गया है इसे राज प्रशस्ति कहा जाता है ।

8 .कायलाना झील

यह एक प्राकृतिक झील है जो जोधपुर में स्थित है ।

इस झील के बीखरी हुई पहाड़ियों में मासी सफारी अभ्यारण स्थित है ।यह भारत का प्रथम मरू वनस्पतिक पार्क है ।

इसके  सर प्रताप सिंह ने कुछ निर्माण करवाया था इस कारण इसे प्रताप सागर झील भी कहा जाता है ।

इस दिल से जोधपुर में वाटर सप्लाई की जाती है ।

इस झील मैं राजीव गांधी पेयजल लिफ्ट परियोजना से जलापूर्ति होती है ।

9 .कोलायत झील

इसका निर्माण सांख्यिकी के दर्शन के प्रेरणाता कपिल मुनि द्वारा किया गया ।

इस झील पर कार्तिक मास की पूर्णिमा को विशाल मेला भरता है ।

कार्तिक मास की पूर्णिमा के इस मेले में किया जाने वाला स्नान गंगा स्नान के नाम से जाना जाता है ।

इसी पूर्णिमा के दिन दीपदान प्रक्रिया होती है ।

इस झील को मरुउद्यान भी कहा जाता है ।

चारण जाति के लोग इस झील को अपवित्र मानते हैं ।

10 .बालसमंद झील

झील का निर्माण बालक राम परिहार ने 1159 में मंडोर (जोधपुर )में करवाया ।

सूर सिंह ने इस दिल में अष्ट खंबा महल बनवाया ।
बालसमंद झील के दक्षिण में जनान महल बनवाया ।

इस झील में नहरो द्वारा जलापूर्ति होती है ।


11 .आना सागर झील

इस झील का निर्माण अर्णोराज / आनाजी द्वारा 1137 में शहर से रक्त रंजित भूमि को साफ करने हेतु बनवाया गया ।

 बांडी नदी चन्द्रा नदी का जल झील में गिरता है ।

जहांगीर ने इसके पास सुभाष उद्यान बनवाया था ।

शाहजहां ने इस झील के चारों तरफ संगमरमर का परकोटा बनवा दिया ।

इसके समीप शाहजहां द्वारा 5 बारादरी बनवाया हुआ है ।

12 .पुष्कर झील

एक कलडेरा झील है ।

यह अजमेर में स्थित है ।

अरावली का सबसे निम्नतम स्थान है ।

यह झील सबसे प्राचीन व सबसे पवित्र झील है ।

यह अर्धचंद्राकार रूप में विस्तृत है ।

इसके पास ब्रह्मा जी का मंदिर है ।

रत्नागिरी की पहाड़ियों पर मां सावित्री का प्रसिद्ध मंदिर है ।

इस झील के पास गायत्री मंदिर भी स्थित है ।

इस झील के आसपास लगभग 400 मंदिर स्थित है ।

पुष्कर झील में सरस्वती नदी द्वारा जलापूर्ति होती है ।

पुष्कर झील के समीप कुल 12 घाट हैं ।

1911 में मैडम मेरी के आगमन पर जनाना घाट बनवाया गया इस घाट से गांधी जी की अस्थियों का विसर्जन किया था इसलिए इसे गांधी घाट कहा जाता है ।

पुष्कर झील के उपनाम -

-तीर्थो का मामा 

-कोकण तीर्थ

- परिहाग राज का गुरु

इस झील में कनाडा के सहयोग से पुष्कर गेप परियोजना चलाई गई जिसमें पुष्कर झील की सफाई की गई थी ।

गुरु गोविंद सिंह ने इस झील के पास पाठ किया था ।

इस झील के पास मानसागर होटल स्थित है ।

13 .फॉयसागर झील

अजमेर के इंजीनियर फॉय द्वारा बांडी नदी के जल को रोककर सन 1891 - 92 में अकाल राहत कार्यों हेतु इस नदी झील का निर्माण करवाया गया ।

14 .सिलीसेढ़ झील

महाराजा विनय सिंह द्वारा निर्मित यह झील अलवर जिले में स्थित है ।

यह झील गोल्डन ट्रायंगल में स्थित है ।

पूर्वी राजस्थान की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील है ।

यह झील राजस्थान का नंदन कानन कहलाती है ।

इसमें नौकायान किया जाता है ।

अन्य मीठे पानी की झीले

मानसागर झील -जयपुर
मावठा झील -अजमेर
गलताजी झील -अजमेर
पाटन टेक झील -जयपुर
गैबसागर झील -डूंगरपुर
कृष्ण मानसागर झील -झालावाड़
रामगढ़ झील - बांरा
सीताबाड़ी झील - बारा
मातृकुंडिया झील -चित्तौड़गढ़
चोपड़ा झील -पाली
राम सागर -धौलपुर
तालाब शाही झील -धौलपुर
माण्डताल झील -भीलवाड़ा
जेतसागर झील -बूंदी
नवलखा झील -बूंदी
डूंगरी झील -बूंदी
झिलमिल - दोसा
बांकली झील -जालौर या पाली
बुड्ढा जोहड़ झील -श्रीगंगानगर
तलवाड़ा झील -हनुमानगढ़
बारूपाल तालाब झील -झुंझुनू
गड़ीसर झील -जैसलमेर
गजनेर -बीकानेर
सुजान गंगा -भरतपुर
मोती सागर -भरतपुर

खारे पानी की झीले

पश्चिमी राजस्थान आंतरिक अपवाह तंत्र प्रदेश में सर्वाधिक खारे पानी की झीले पाई जाती है ।

खारा पानी होने का कारण - टेथिस सागर का अवशेष
                              -माइकाशिष्ट चट्टानों का अधिक पाया जाना
          -दक्षिण पश्चिम मानसून कच्छ प्रदेश से अपने साथ NaCl उड़ा कर लाती है ।

सांभर झील

जयपुर में फुलेरा जंक्शन के समीप स्थित है ।

बिजोलिया शिलालेख के अनुसार इस झील का निर्माण वासुदेव चौहान ने करवाया था । 

राजस्थान की सबसे बड़ी खारे पानी की झील है ।

भारत की तीसरी सबसे बड़ी खारे पानी की झील है !

मेंथा ,रुपनगढ़ , खण्डेला ,खारी इन चार नदियों का पानी इस झील में गिरता है ।

यह झील भारत के कुल नमक का 8.7 % व राजस्थान के कुल नमक का 80% भाग उत्पादित करती है ।

यहां हिंदुस्तान साल्ट लिमिटेड (1964) द्वारा नमक बनाया जाता है ।

हिंदुस्तान साल्ट लिमिटेड के अधीन सांभर साल्ट लिमिटेड भी कार्य करता है l

23 मार्च 1990 रामसर साइट में राजस्थान की दूसरी आर्द्रभूमि के रुप में सम्मिलित की गई ।

यह रेसता पद्धति व क्यारी पद्धति के द्वारा नमक बनाया जाता है ।

इस झील में स्वेडा फुटी पादप पाया जाता है ।

इस झील पर कुरजा पक्षी ज्यादा पाए जाते हैं ।

राजहंस पक्षी भी यही मिलता है ।

इसके पास तीर्थों की नानी देवयानी देवी का मंदिर है ।

इसके समीप नलियासर मस्जिद है ।

शाकंभरी माता का मंदिर भी इसके पास है ।

इस झील में मेंथा नदी सर्वाधिक नमक लाती है ।

1870 में साल्ट म्यूजियम की स्थापना की गई ।

यह राजस्थान का सबसे नीचा स्थान है ।

इसके तली  की चट्टाने प्रि अरावली काल की है ।

2.पचपदरा झील

1600 के आसपास पांचा भील ने इस झील का निर्माण करवाया था ।

यह झील बाड़मेर जिले में स्थित है।

खारवाल जाति मोरली झाड़ी द्वारा नमक बनाती है ।

यह के नमक में 98% सोडियम क्लोराइड पाया जाता है जो खाने के लिए बढ़िया है ।

3 .डीडवाना झील

यह झील नागौर जिले में स्थित है ।

इस झील का नमक खाने योग्य नहीं है ।

यहां के नमक में सोडियम सल्फेट की मात्रा अधिक पाई जाती है ।

यहां पर राजस्थान टेस्ट केमिकल वर्क्स 1960 स्थापित किया गया है ।

यह के नमक का उपयोग रंगाई , छपाई , काँच उद्योग और केमिकल उद्योग में किया जाता है ।

निजी संस्थाओं द्वारा यहा नमक बनाया जाता है जिन्हें देवल कहा जाता है ।

नावा झील

यह नागौर जिले में स्थित है ।

यहां नमक की सबसे बड़ी मंडी है ।

रेवासा झील

यह सीकर जिले में स्थित है ।

इस खारे पानी की झील का उल्लेख कर्नल जेम्स टॉड ने अपनी पुस्तक (एनल्स एंड एंटीक्विटीज आफ राजस्थान )में किया है ।

कावोद झील

यह जैसलमेर जिले में स्थित है ।

आयोडीन की मात्रा अधिक पाई जाती है ।

खारे पानी की अन्य झीले

1.पोकरण झील -जैसलमेर
2 .लूणकरणसर -बीकानेर
3 .ताल छापर -चूरू
4 .पणिहारी - चुरु
5 .रेवासा-सीकर
6. पीथमपुरी - सीकर
7 . कासोरी -सीकर
8.डेगाना - नागौर
9 .कुचामन - नागौर
10 .बाप - जोधपुर
11 .फलोदी - जोधपुर

केंद्रीय झील संरक्षण अधिनियम

केंद्रीय झील संरक्षण अधिनियम 1 अप्रैल 2016 को स्थापित किया गया ।

इसमें केंद्र व राज्य का योगदान क्रमशः 60:40 है ।

इसका उद्देश्य झीलो को संक्षिप्त कर उन्हें जैव विविधता प्रदेश व शुद्ध प्राकृतिक प्रदेश बनाए रखना ।

इस अधिनियम के तहत मुख्य रूप से निम्न झीलो को लिया गया है -
फतेहसागर ,पिछोला,नक्की झील , आना सागर,पुष्कर झील तथा जैत सागर

जिलों का महत्व

-यह जैव विविधता प्रदेश है ।
-यह मनोरंजन के साधन है ।
-पर्यटन के लिए
-पेयजल व सिंचाई हेतु।
-मत्स्य पालन हेतु उपयोगी है।
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