राज्य की प्रमुख बहुउद्देशीय सिंचाई परियोजनाएं
राज्य की प्रमुख उद्देश्य सिंचाई परियोजनाएं
भाखड़ा नांगल परियोजना
यह पंजाब हरियाणा व राजस्थान की शोध परियोजनाएं।
परियोजना की कुल क्षमता 1480.3 मेगा वाट है। इस योजना से राजस्थान को 15.22% विद्युत एवं 2.3 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है। इस परियोजना में राज्य में सर्वाधिक सिंचाई हनुमानगढ़ जिले में होती है।
भाखड़ा नांगल परियोजना में सतलज नदी पर भाखड़ा और नागल दो स्थानों पर दो बाध बनाए गए हैं।
सतलुज नदी से पंजाब के फिरोजपुर के हुसैनी वालों से निकाली गई है राजस्थान में श्रीगंगानगर के संख्या गांव से प्रवेश करती है।
भाखड़ा बांध
विश्व का दूसरा व एशिया का सबसे ऊंचा निर्मित पुरुष सिद्धा बांध।
पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा 22 सितंबर 1963 को राष्ट्र को समर्पित किया गया।
इस बांध की ऊंचाई 225.55 मीटर है।(740 मीटर)
स्थित:- भाखड़ा , बीसलपुर हिमाचल प्रदेश ।
इस बांध पर स्थित विद्युतग्रह बाया किनारा - 540 MW ( 5x 108 MW)
दाया के किनारा :- 785 MW ( 5x157 MW )
नांगल बांध
1952 में तैयार यह बांध सतलज नदी पर ।
भाखड़ा से 13 किलोमीटर नीचे स्थित है ।
इसकी ऊंचाई 29 मीटर ( 95 फीट )वॉइस की लंबाई 340.8 मीटर ( 100 फीट)
स्थित :- नांगल (रोपड़ पंजाब )।
बाध पर स्थित विद्युत गृह गंगुवाल मैं 77 .65 मेगा वाट ।
कोटला में 77 .65 मेगा वाट
बाद से निकाली गई दो नहर :- 1.बिस्त दोआब नहर 2.भाखड़ा नहर ।
चंबल नदी परियोजना
यह राजस्थान की सबसे बड़ी नदी चंबल पर वर्ष 1953-54मैं प्रारंभ की गई ।
यह योजना राजस्थान व मध्यप्रदेश की 50:50की साझेदारी की बहुउद्देशीय परियोजना है ।
इस परियोजना से 4.5 लाख हेक्टेयर भूमि में सिंचाई की जाती है ।
इससे राजस्थान के कोटा , बूंदी , बारा व मध्यप्रदेश में सिंचाई सुविधा उपलब्ध हुई है।
राजस्थान राज्य को इस परियोजना से 193 मेगावाट (50%)विद्युत प्राप्त होती है ।
चंबल नदी परियोजना में निर्मित बांध
प्रथम चरण :-
प्रथम चरण में गांधी सागर बांध (मंदसौर मध्य प्रदेश)बनाया गया ।इसकी क्षमता 115 मेगावाट बिजली उत्पादन करने की है ।इनकी ऊंचाई 67 मीटर है । तथा इसकी स्थापना 1949 में की गई ।
प्रथम चरण में 2 बांध बनाया दूसरा बांध राजस्थान में कोटा बैराज बांध बनाया गया जो कोटा की सिंचाई हेतु 1960 में निर्मित ।
द्वितीय चरण :
राणा प्रताप सागर बांध (चित्तौड़गढ़ , राजस्थान )
बिजली उत्पादन करने की क्षमता 172 मेगावाट है ।
इसकी स्थापना फरवरी 1970 में की गई ।
तृतीय चरण :
जवाहर सागर बांध बोराबास , कोटा मैं बनाया हुआ है ।
यह बाध कोटा बूंदी की सीमा पर स्थित है ।
इसकी बिजली उत्पादन करने की क्षमता 99 मेगावाट है ।
इसकी ऊंचाई 45 मीटर है ।
इसकी लंबाई 39 मीटर तथा इसकी स्थापना 1972 में की गई ।
चंबल नदी परियोजना में निर्मित बांध मुहाने की ओर से क्रमांक इस प्रकार होगा :गांधी सागर बांध ,राणा प्रताप सागर बांध ,जवाहर सागर बांध ,कोटा बैराज ।
चंबल लिफ्ट परियोजनाएं :
चंबल नदी पर 8 लिफ्ट परियोजनाएं हैं : -
जालिपुरा लिफ्ट स्किन , कोटा ।
दीगोद स्कीम , कोटा ।
अंता लिफ्ट स्कीम , बांरा ।
अंता लिफ्ट माइनर/ चक्षनाबाद , बारां ।
पचेल लिफ्ट स्कीम , बारां ।
गणेशगंज लिफ्ट स्कीम , बारां।
सोरखंड लिफ्ट स्कीम , बारां ।
कसारी लिफ्ट स्कीम , बारां
व्यास परियोजना
हिमाचल प्रदेश में व्यास नदी पर स्थित पंजाब , हरियाणा व राजस्थान की संयुक्त परियोजना ।
परियोजना के अंतर्गत व्यास नदी पर दो बाध बने हैं :-
1. पंडोह बाँध - पंडोह (हिमाचल प्रदेश)
2. पोंग बांध -पोंग कांगड़ (हिमाचल प्रदेश)
पोंग बांध के पोंग विद्युत ग्रह से राजस्थान को 59% विद्युत तथा पंडोह बांध पर स्थित देहर विद्युत गृह से 20% विद्युत प्राप्त होती है ।
व्यास सतलज लिंक परियोजना :- भाखड़ा नांगल बांध से पानी की आपूर्ति बनाए रखने हेतु पंडोह बांध से यह लिंक नहर निकाली गई है ।
रावि , व्यास नदी जल विवाद के हल हेतु राज्य लोगोंवाल समझौते के तहत 1986 में गठित इराडी कमीशन द्वारा राजस्थान के लिए 86 लाख एकड़ फीट पानी का अतिरिक्त से निर्धारित किया गया ।
माही बजाज सागर परियोजना
राजस्थान में गुजरात की इस साझी बहुउद्देशीय परियोजना में माही नदी पर बांसवाड़ा के निकट बोरखेड़ा गांव में माही बजाज सागर बांध बनाया गया तथा गुजरात में कड़ाना बांध बनाया गया ।
इस परियोजना में विद्युत की क्षमता 140 मेगावाट है।
इसकी समस्त विद्युत केवल राजस्थान में ही प्राप्त होती है।
इससे राजस्थान के डूंगरपुर जिले की आसपुर, सागवाड़ा एवं सीमलवाड़ा तहसील व बांसवाड़ा जिले की जनजाति क्षेत्रों में सिंचाई से उपलब्ध होती है ।
इससे सर्वाधिक लाभ बांसवाड़ा जिले को हुआ है ।
इस परियोजना का नामकरण प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी व राष्ट्रीय नेता श्री जमनालाल बजाज के नाम पर माही बजाज सागर परियोजना किया गया ।
माही बजाज परियोजना में 3 इकाइयां में निर्मित की गई :-
प्रथम इकाई :
माही बजाज सागर बांध 3109 मीटर लंबी है '
1 नवंबर 1983 को राष्ट्र को समर्पित की गई ।
द्वितीयक इकाई :
मुख्य बांध के नीचे कागदी पिकप बनाई गई है जो 112 किलोमीटर लंबी ।
तृतीय इकाई :
इसमें मुख्य बांध पर 50 मेगावाट व 90 मेगावाट के दो विद्युत ग्रह का निर्माण 1986 व 1989 में किया गया है।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
पार्वती कालीसिंध चंबल नदी जोड़ो परियोजना :-
इस परियोजना के तहत पार्वती, नीमाज, चंबल, बनारस और कालीसिंध नदियों को जोड़ा जाएगा नदियों को जोड़ने की स्वर प्रथम इंजीनियर मोक्षगुंड विश्वेसरैयाने की थी । डॉ विश्वेसरैया की जयंती 15 सितंबर प्रत्येक वर्ष इंजीनियर दिवस के रूप में मनाई जाती है ।
पहली नदी जोड़ों जलसंधि :-
25 अगस्त 2005 को नई दिल्ली में केंद्र , उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बीच बेतवा और केन नदियों को जोड़ने का पहला त्रिपक्षीय समझौता हुआ । केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित 'तीस नदी जोड़ो ' परियोजना में 'केन - बेतवा लिंक परियोजना ' सर्वोच्च प्रमाणिकता वाली परियोजना है ।
शारदा यमुना लिंक परियोजना (यमुना -राजस्थान -साबरमती लिंक परियोजना ) :-
यमुना व शारदा नदियों के पानी को राजस्थान के बाड़मेर जैसलमेर एवं सिरोही जिले तक लाने की प्रस्तावित योजना ।यह परियोजना उत्तर प्रदेश , हरियाणा , राजस्थान एवं गुजरात राज्य की है ।
जोहड़ वाले बाबा :-
मैग्सेसे पुरस्कार विजेता श्री राजेंद्र सिंह जिन्होंने जोहड़ पद्धति को लोकप्रिय बनाया जोहङ बाबा के नाम से प्रसिद्ध है ।
राष्ट्रीय झील संरक्षण परियोजना :-
जून 2001 से संचालित योजना ।योजना के तहत स्वीकृत राजस्थान की झीले 1.आना सागर झील अजमेर 2 .नक्की झील माउंट आबू 3.फतेहसागर झील उदयपुर 4.पिछोला झील उदयपुर 5.मानसागर झील जयपुर 6.पुष्कर झील अजमेर ।
मदान बांध :-
भरतपुर में स्थित '
इंडो- डच जल निकासी परियोजना :-
हनुमानगढ़ में सेम प्रभावित क्षेत्रों में नीदरलैंड की आर्थिक सहयोग से संचालित परियोजना ।
सरदार सरोवर बांध परियोजना :-
गुजरात ,मध्य प्रदेश ,राजस्थान और महाराष्ट्र की संयुक्त परियोजना जो 19 जनवरी 2007 को राष्ट्र को समर्पित की गई।
चंदन नलकूप : -
जैसलमेर से पूर्व की ओर मीठे पानी के लिए प्रसिद्ध नलकूप जिसे थार का घड़ा भी कहा जाता है ।
ग्रीन माउंट : -
भीलवाड़ा जिले में मेजा बांध की पाल पर विकसित पार्क ।
वन सेना :-
इंदिरा गांधी नहर परियोजना क्षेत्र में विश्व में पहली बार गठित ।
सुजलाम परियोजना :-
बाड़मेर जिले के चयनित गांव में खारे पानी को मीठा बनाने की परियोजना ।
सिंधु नदी जल संधि :-
भारत व पाकिस्तान के मध्य 19 सितंबर 1960 को जल बंटवारे हेतु हस्ताक्षरित संधि ।
अंतर राज्य जल समझौता -1955 : -
राजस्थान ,हरियाणा,हिमाचल प्रदेश,दिल्ली वह पंजाब के मध्य रावी ,व्यास के पानी के विभाजन के संबंध में हुआ समझौता ।समझौते के तहत राजस्थान को 8 . 6 MAF पानी प्राप्त हुआ । राज्य की जल नीति :-
19 सितंबर 1999 को राज्य की जल नीति को मंजूरी दी गई तथा 2010 में राज्य की नई जल नीति जारी की गई ,जिसका उद्देश्य जल जागृति अभियान के तहत राज्य में जल संरक्षण के प्रति चेतना जागृत करना है ।
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने बहुउद्देशीय परियोजनाओं को आधुनिक भारत का मंदिर कहा था।
इंदिरा गांधी नहर परियोजना में सर्वाधिक कमांड एरिया जैसलमेर में बीकानेर जिले का है ।
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