राजस्थान के राष्ट्रीय अभ्यारण व बाघ परियोजनाएं ( भूगोल )

 राजस्थान के राष्ट्रीय अभ्यारण

1 .केवलादेव घना पक्षी राष्ट्रीय अभ्यारण -

इसे सन 1956 में अभ्यारण का दर्जा दिया गया ।
इसे सन् 1981 में राष्ट्रीय अभ्यारण का दर्जा दिया गया ।
यह भरतपुर जिले में स्थित है ।
28.73 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है ।
अजान बांध द्वारा इसकी जलापूर्ति होती है ।
इस अभयारण्य में केवलादेव महादेव जी का मंदिर है ।
सन 1985 में इससे यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया ।
1 अक्टूबर 1981 को रामसर साइट बनी ।
यहां पर शीत ऋतु में साइबेरियन क्रेन  अपने प्रजनन के लिए आती है ।

इस अभयारण्य को पक्षियों का स्वर्ग भी कहा जाता है ।
यहां पर ऐचा घास पाई जाती है जिसे पक्षियों का नरक कहा जाता है ।
केवलादेव घना पक्षी राष्ट्रीय अभ्यारण में कदंब के वृक्ष पाए जाते हैं ।
यह पक्षी वैज्ञानिक सलीम अली की कर्मभूमि है ।

2.रणथंभोर राष्ट्रीय अभ्यारण

इसे सन् 1955 में अभ्यारण का दर्जा दिया गया ।

इसे सन् 1980 में राष्ट्रीय अभ्यारण का दर्जा दिया गया ।
यह राजस्थान का प्रथम राष्ट्रीय अभ्यारण है ।

सन 1970 में कैलाश सांखला के प्रयासों से राज्य का प्रथम बाघ परियोजना का दर्जा दिया गया ।


यह 393 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है ।
सवाई माधोपुर जिले में स्थित है ।

सवाई माधोपुर जिले को बाघ भूमि भी कहा जाता है ।

इस अभयारण्य में जोगी महल व त्रिनेत्र भगवान गणेश जी का मंदिर स्थित है ।

कैलाश सांखला को टाइगर मैन ऑफ इंडिया के नाम से जाना जाता है ।
कैलाश सांखला का जन्म सन 1925 में जोधपुर जिले में हुआ ।
कैलाश सांखला की तीन पुस्तकें
                                          1 the tiger
                                          2 the return of tiger
                                          3 the tigerland

3.मुकुंदरा हिल्स राष्ट्रीय अभ्यारण

इसे 9 जनवरी 2012 को नेशनल पार्क का दर्जा दिया गया ।


यह राज्य का तीसरा राष्ट्रीय अभ्यारण है ।

10 अप्रैल 2013 को इसे बाघ परियोजना का दर्जा दिया गया ।

यह अभयारण्य उच्च जैव विविधता रखता है ।

यह कोटा व झालावाड़ जिले में विस्तृत है ।
यहां से आहु नदी प्रवाहित होती है ।

यह 199 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है ।

यहां गागरोनी तोता पाया जाता है ।

यहां पर अबली मीणा का महल स्थित है ।


यह हाडौती के पठार पर स्थित है ।

राजस्थान की बाघ परियोजनाएं

राजस्थान में 3 बाघ परियोजना पाई जाती है - - -

1 .रणथंभौर बाघ परियोजना

इसे सन् 1970 में बाघ परियोजना का दर्जा दिया गया ।

यह सवाई माधोपुर जिले में स्थित है ।


2 .सरिस्का बाघ परियोजना

इसे सन् 1978 में बाघ परियोजना का दर्जा दिया गया ।

यह अलवर जिले में स्थित है ।

3 .मुकुंदरा हिल्स बाघ परियोजना

इसे अप्रैल 2013 में बाघ परियोजना का दर्जा दिया गया ।

यह कोटा तथा झालावाड़ जिले मे स्थित है ।

वन्य जीव अभ्यारण

राजस्थान मे 27 वन्य जीव अभ्यारण है जो निम्न है - -

1 .आबू अभ्यारण

यह राज्य का सबसे ऊंचा अभ्यारण है ।

यह अभयारण्य जंगली मुर्गों के लिए प्रसिद्ध है ।

नक्की झील के पास में स्थित है ।

डिकीलपटेरा आबू ऐसिस घास विश्व में एकमात्र यही पाई जाती है ।

सिरोही जिले में स्थित है ।

2.सज्जनगढ़ अभ्यारण

राज्य का सबसे छोटा अभ्यारण है ।
उदयपुर जिले में स्थित है ।

5.19 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है ।

राज्य का प्रथम जैविक उद्यान अप्रैल 2015 में घोषित किया गया ।

यह वंशधरा पहाड़ी में स्थित है ।


3 .जयसमंद अभ्यारण

यह जयसमंद झील के समीप है ।

उदयपुर जिले में स्थित है ।

यह घने वनों का प्रदेश है ।

लसाडिया का पठार का भाग है ।

4 .फुलवारी की नाल अभ्यारण

इसमें सोम , मानसी व वाकल प्रवाहित होती है ।

उदयपुर जिले में स्थित है ।

यहां पर कब्र विज्जू पाया जाता है ।

5 .सीता माता अभ्यारण

प्रतापगढ़ जिले में स्थित है ।

यहां से जाखम व क्रमोई नदी प्रवाहित होती है ।

जाखम नदी पर जाखम बांध राज्य का सबसे ऊंचा बांध बनाया गया है (8IM )

इस अभयारण्य में लव कुश झरना बहता है ।

हिमालय के बाद सर्वाधिक औषधि यहीं से प्राप्त होती है ।

इस अभ्यारण में सागवान व महुआ के वृक्ष मिलते हैं ।

महुआ के वृक्ष पर उड़न गिलहरी पाई जाती है यह अभयारण्य उड़न गिलहरी के लिए प्रसिद्ध है ।

उड़न गिलहरी प्रतापगढ़ की जिला शुभंकर है।

6 . बस्सी अभ्यारण

यह चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित है ।

यह ओराई व बामणी नदियों के संगम पर है ।

7 .भैंसरोडगढ़ अभ्यारण

चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित है ।

बामणी व चंबल नदी के संगम पर है ।

यह घड़ियाल के लिए प्रसिद्ध है ।

8 .चंबल अभ्यारण

यह तीन राज्य मध्य प्रदेश ,राजस्थान व उत्तर प्रदेश में सम्मिलित हैं ।

कोटा , बूंदी ,चित्तौड़गढ़ ,सवाई माधोपुर ,धौलपुर , करौली में विस्तृत है ।

यह नदी अभयारण्य है ।(राजस्थान का एकमात्र )

घड़ीयालो के लिए बहुत प्रसिद्ध है ।

9 .शेरगढ़ अभ्यारण

बारा जिले में स्थित है ।

यहां से परवन नदी प्रवाहित होती है ।

यह सांपों की शरण स्थली कहलाता है ।

10 .दर्रा वन्य जीव अभ्यारण

यह कोटा व चित्तौड़गढ़ में विस्तृत है ।

यह गागरोनी तोते के लिए प्रसिद्ध है ।

यहां पर धोकड़ा वृक्ष पाए जाते हैं ।

11 .सवाई मानसिंह अभयारण्य

सवाई माधोपुर जिले में स्थित है ।

12.केला देवी अभ्यारण

यह करौली जिले में स्थित है ।

410 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है ।

यहां पर कैला देवी का मंदिर स्थित है ।

यह त्रिकूट पर्वत के आसपास का एरिया है ।

घड़ियाल व थोकड़ा वृक्ष पाए जाते हैं ।

यहां से कालीसिल नदी प्रवाहित होती है ।

13 .रामसागर अभ्यारण

इसे 1955 में बनाया गया ।

यह धौलपुर जिले में स्थित है ।

14 .केसर बाघ अभयारण्य

इसे 1955 में अभयारण्य का दर्जा दिया गया ।

यह धौलपुर जिले में स्थित है ।

15 .वन विहार अभयारण्य

इसे 1955 में अभ्यारण का दर्जा दिया गया ।

इसमें वन विहार मठ बनी हुई है ।

यह धौलपुर जिले में स्थित है ।

16 .बंद बरेठा अभयारण्य

यह भरतपुर जिले में स्थित है ।

यह नाव जैसी आकृति का बंद बरेठा बांध के पास स्थित है ।

इस अभयारण्य में कुकुन्द नदी प्रवाहित होती है ।

17 .सरिस्का अभ्यारण

अलवर जिले में स्थित है ।

यह राष्ट्रीय अभयारण्य के रूप में प्रस्तावित है ।

कानवाड़ी व कैरोच के पठार पर स्थित है ।

हरे कबूतरों के लिए प्रसिद्ध है ।

यहां पर मोर सर्वाधिक पाए जाते है ।

यहां अधिपादप भी मिलते हैं ।

18 .सरिस्का "अ " अभ्यारण

यह अलवर जिले में स्थित है ।

यह राज्य का सबसे छोटा अभ्यारण है । 

3.01 वर्ग किलोमीटर मैं फैला हुआ है ।

इसे 20 जून 2012 को सरिस्का अभयारण्य से अलग किया गया ।

19 .नाहरगढ़ अभ्यारण

जयपुर जिले में स्थित है ।

यह चिंकारा के लिए प्रसिद्ध है ।

4 जून 2016 को राज्य का दूसरा जैविक उद्यान बनाया गया ।

20 .जमवा रामगढ़ अभ्यारण

यह जयपुर जिले में स्थित है ।

इस अभयारण से बाणगंगा नदी प्रवाहित होती है ।

21 .टॉडगढ़ रावली अभयारण्य (रावली टॉडगढ़ )

अजमेर , पाली व राजसमंद की सीमा पर स्थित है ।

22 .कुंभलगढ़ अभ्यारण

यह राजसमंद ,पाली व उदयपुर जिले में विस्तृत है ।

610 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में विस्तृत है ।

राज्य का दूसरा सबसे बड़ा अभ्यारण है ।

यह भेड़ियों के लिए प्रसिद्ध है ।

23 .राष्ट्रीय मरू उद्यान

बाड़मेर जैसलमेर जिले में विस्तृत है ।

यह सबसे बड़ा अभ्यारण है ।

3162 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है ।

यह गोडावण , सेवण घास व पीवणा सांप के लिए प्रसिद्ध है ।

इसमें मानव आवास भी है ।

इसमें आकल वुड फॉसिल पार्क स्थित है ।

यह नेशनल हाईवे 68 के समीप है ।

24 .जवाहर सागर अभ्यारण

यह कोटा जिले में स्थित है।

घड़ीयालों के लिए प्रसिद्ध है ।

25 .रामगढ़ विषधारी अभ्यारण

यह बूंदी जिले में स्थित है ।

बाघों का जच्चा बच्चा कहलाता है ।

बाघ परियोजना नहीं होते हुए भी यहां बाघ पाए जाते हैं ।

रणथंभौर राष्ट्रीय अभयारण्य सफारी के द्वारा जोड़ा गया है ।

26 .तालछापर अभयारण्य

चूरु जिले में स्थित है ।

मोचिया घास पाई जाती है ।

यह कृष्ण मृग (काले हिरणों ) के लिए प्रसिद्ध है ।

27 .सवाई माधोपुर अभ्यारण

राजस्थान के जंतुआलय

राजस्थान में पांच जंतुआलय हैं -

1 .जयपुर जंतुआलय

सन 1876 में रामसिंह द्वितीय के काल में इसे बनाया गया ।

रामबाग में स्थापित किया गया है ।

अल्बर्ट टाउन हॉल के समीप स्थित है ।

राज्य का प्रथम जंतुआलय है ।

इसे रामगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में स्थानान्तरित किया गया है ।

2 .उदयपुर जंतुआलय

यह गलाब बांध उदयपुर में स्थित है ।

राज्य का दूसरा जंतुआलय है।


सन 1878 में यदि इसे स्थापित किया गया ।

3 .बीकानेर जंतुआलय

1922 में स्थापित किया गया ।

वर्तमान में यह बंद है ।

4 .जोधपुर जंतुआलय

सन 1936 में स्थापित किया गया ।

यह गोडावण प्रजनन केंद्र है ।

यह पक्षी पाठशाला भी है ।

5 .कोटा जंतुआलय

सन 1956 में आजादी के बाद का प्रथम या अंतिम जंतुआलय हैं ।

NOTE : - छठा जंतुआलय अजमेर में प्रस्तावित है ।


आखेट निषेध क्षेत्र


राजस्थान मे 33 आखेट निषेध क्षेत्र है ।

कुछ महत्वपूर्ण आखेट निषिद्ध क्षेत्र - 

-जोहर बीड =बीकानेर 
-जवाई बांध -पाली
-संथाल -जयपुर
-गुडा बिश्नोई -जोधपुर
-धोरीमना -बाड़मेर
-सांचौर -जालौर
- कोटसर सावतसर - चुरु =सबसे बड़ा
-कनक सागर -बूंदी =सबसे छोटा
-रामदेवरा -जैसलमेर
- सेखलिया - अजमेर
-उज्जवला - जैसलमेर


कंजर्वेशन रिजर्व प्रदेश

राजस्थान में 14 कंजर्वेशन रिजर्व प्रदेश है
कुछ महत्वपूर्ण कंजर्वेशन रिजर्व प्रदेश -

-बिसलपुर कंजर्वेशन रिजर्व -टोंक जिला
- बोलियास खेतड़ी कंजर्वेशन रिजर्व -झुंझुनू
-शाकंभरी कंजर्वेशन रिजर्व -सीकर ,झुंझुनू 
-गुडा बिश्नोई कंजर्वेशन रिजर्व -जोधपुर
-सुंधा माता कंजर्वेशन रिजर्व -जालोर व सिरोही (सबसे बड़ा 117 वर्ग किमी )
-गोगे बाल कंजर्वेशन रिजर्व -नागौर
- रोहु कंजर्वेशन रिजर्व -नागौर (सबसे छोटा 0.7 वर्ग किमी )
- जोहड बीड कंजर्वेशन रिजर्व -बीकानेर
-जवाई बांध कंजर्वेशन रिजर्व -पाली

राजस्थान में रामसर साइट


राजस्थान में दो रामसर साइट है - - - -- -- --

1 .कैला देवी आद्र भूमि रामसर साइट

यह बरतो जिले में स्थित है ।

1 अक्टूबर 1981 को सम्मिलित किया गया ।

28.73 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है ।

यूनेस्को विश्व धरोहर में सम्मिलित है ।

यह राष्ट्रीय अभयारण्य में है ।

यह लोकटक झील के साथ मोण्ट्रीयक्स रिकॉर्ड्स में सम्मिलित हैं ।

2.सांभर झील रामसर साइट

यह जयपुर ,अजमेर व नागौर जिले में है ।

30 मार्च 1990 को सम्मिलित किया गया ।

240 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है ।

नमक उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है ।

पक्षीयो के लिए भी प्रसिद्ध है ।

जिला शुभंकर

33 जिला शुभंकर है -

1 .बाड़मेर -मरू लोमड़ी

यह मरू उद्यान में सर्वाधिक पाई जाती है ।

2 .जैसलमेर -गोडावण

21 मई 1981 को राज्य पक्षी घोषित किया गया ।

गोडावण का प्रमुख भोजन तारामीरा है ।

इसे सोहन चिड़िया , माल मोरडी ,शर्मिला पक्षी ,धोरों का चीता , बुधन मोर आदि नामों से जाना जाता है l

यह सेवण घास में प्रजनन करता है ।

 राष्ट्रीय मरू उद्यान में सर्वाधिक पाया जाता है ।

यह अफ्रीकन मूल पक्षी है ।

यह लगभग 4 फीट हाइट का होता है ।

3 .बीकानेर - बटवड़ तीतर

इस रेत का  तीतर भी कहा जाता है ।

यह गजनेर अभ्यारण में पाया जाता है ।

4 .श्रीगंगानगर -चिंकारा

सिंकारा को 22 मई 1981 को राज्य पशु घोषित किया गया ।

चिंकारा का वैज्ञानिक नाम गजेला गजेला है ।

यह एन्टीलोप प्रजाति का है ।

नाहरगढ़ अभ्यारण में ज्यादा पाया जाता है ।

5 .हनुमानगढ़-छोटा किलकिला

6 .चुरु -कृष्ण मृग
यह ताल छापर अभ्यारण में ज्यादा पाया जाता है ।
मोचियाकाशीष का प्रमुख भोजन है

7 .झुंझुनू -काला तीतर

8 .सीकर - शाहीन

9 .जयपुर - चीतल
नाहरगढ़ अभयारण्य में पाया जाता है ।

10 .अलवर - साभर
सांभर सरिस्का अभ्यारण में पाया जाता है ।

11 .भरतपुर - सारस
सरस केवलादेव अभ्यारण में पाए जाते हैं ।

12 .धौलपुर -पच्चीरा
पच्चीरा केसर बाग ,राम सागर ,वन विहार अभयारण्य में पाया जाता है । 

13.करौली -घड़ियाल
कैलादेवी अभयारण्य में सर्वाधिक पाया जाता है ।
चम्बल अभ्यारण में व जवाहर सागर अभ्यारण में भी घड़ियाल पाए जाते हैं ।

14 .सवाई माधोपुर - बाघ
रणथंबोर राष्ट्रीय अभ्यारण बाघों के लिए प्रसिद्ध है ।
भारत में सर्वाधिक बाघ पाए जाते हैं ।

15 .कोटा -ऊदबिलाव
चंबल नदी के आसपास उद्बिलाव बहुत पाए जाते हैं ।

16 . बारा - मगर
मगर शेरगढ़ अभ्यारण में पाए जाते हैं l

17 .झालावाड़ - गागरोनी तोता
मुकुंदरा हिल्स नेशनल पार्क में पाए जाते हैं ।

18 .चित्तौड़गढ़ - चौसिंगा
भैसरोड़गढ़ अभ्यारण में पाये जाते है

19 . भीलवाड़ा - मोर
मोर राष्ट्रीय पक्षी भी है '

20 . प्रतापगढ - उड़न गिलहरी
उड़गिलहरी सीतामाता अभ्यारण महुआ के वृक्ष पर पायी जाती है ।

21 .बांसवाड़ा - जलपीपी

22 .डूंगरपुर - जाघिल

23 . उदयपुर - कब्रविजु
जयसमंद व फुलवारी की नाल अभ्यारण मे पायी जाती है ।

24 .सिरोही - जंगली मुर्गा
आबू अभ्यारण मे सिरोही मुर्गा पाया जाता है ।

25 .जालौर - भालू
सुंधा माता कंजर्वेशन रिजर्व में झालू पाए जाते हैं ।

26 .जोधपुर -कुरजा
खिचन गांव कुरजां  के लिए प्रसिद्ध है ।

27 .नागौर -राजहंस
सांभर झील के समीप राजहंस पाए जाते हैं l 

28 .अजमेर -खङमोर

29. टोंक -हस

30 . दौसा - खरगोश

31 . बूंदी - सुर्खाब

32 : राजसमंद - भेडिया
कुंभलगढ़ अभयारण्य भेडियों के लिए प्रसिद्ध है ।

33 . पाली - तेंदुआ 


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